Saturday 30 December 2017

मालपुरा में नववर्ष मेला


आइये नववर्ष मनाएं मालपुरा दादागुरुदेव के साथ 

श्री जिन कुशल सूरी दादाबाड़ी, मालपुरा में श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर द्वारा  (३१ दिसंबर, २०१७ -१ जनवरी, २०१८) नववर्ष मेले का आयोजन किया गया है. नववर्ष की पूर्व संध्या पर देशभर से आये हुए गुरुभक्त कलाकार गण ३१ दिसंबर को संगीतमय प्रस्तुति देंगे. वे अपनी  स्वरलहरियों से रात्रि जागरण में दादागुरुदेव की भक्ति सरिता बहाएंगे.

श्री जिन कुशल सूरी, मालपुरा दादाबाड़ी
 
इससे पूर्व कुमारपाल राजा की आरती का भव्य कार्यक्रम रखा गया है, जिसमे तीर्थंकर परमात्मा की भव्य आरती की जायेगी. इसके बाद दादागुरुदेव व अन्य आरती के बाद भक्ति संध्या होगी. इस दिन सायंकाल के साधर्मी वात्सल्य का लाभ श्री विश्वास जी - श्रीमती रेणु जी गोठी परिवार एवं भक्ति संध्या का लाभ श्रीमान चंद्रप्रकाश जी प्रकाशचन्द जी लोढ़ा परिवार ने लिया है.

मालपुरा रात्रि जागरण में झूमते भक्तगण 

नववर्ष १ जनवरी प्रातः श्री राम ऋद्धिसार द्वारा रचित श्री दादागुरुदेव की बड़ी पूजा होगी। इस दिन के नवकारसी, पूजा, एवं साधर्मी वात्सल्य का लाभ स्वर्गीया श्रीमती प्रेमकुमारी सुराणा, धर्मपत्नी श्री कमल चन्द जी सुराणा  की स्मृति में सुराणा परिवार द्वारा लिया गया है.

मालपुरा दादाबाड़ी में पूजा का एक दृश्य 

यह सभी कार्यक्रम परम पूज्या स्वर्गीया प्रवर्तिनी महोदया श्री विचक्षण श्री जी महाराज साहब की सुशिष्या परम पूज्या चन्द्रकला श्री जी महाराज साहब आदि ठाणा एवं  परम पूज्या स्वर्गीया प्रवर्तिनी महोदया श्री प्रमोद श्री जी महाराज साहब की सुशिष्या परम पूज्या श्री गुणरंजना श्री जी महाराज साहब की निश्रा में मनाया जायेगा. इन सभी कार्यक्रमों में सभी साधर्मी वन्धुओं की उपस्थिति सादर प्रार्थनीय है.

सधन्यवाद,
ज्योति कुमार कोठारी

#मालपुरा #दादाबाड़ी #नववर्ष #मेला #2018 

allvoices

Saturday 9 December 2017

जयपुर में मचेगी पौष दसमी की धूम


जयपुर में मचेगी पौष दसमी की धूम 

२३वें तीर्थंकर पुरुषदानीय श्री पार्श्वनाथ भगवान् का २८९४ वां जन्म कल्याणक दिवस (पौष दसमी) १२ दिसंबर,२०१७ को धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. इस अवसर पर श्री सुपार्श्वनाथ भगवन के बड़े मंदिर, घीवालों का रास्ता, जौहरी बाजार, जयपुर से प्रातः ८.३० बजे भव्य वरघोड़ा निकाला जायेगा। इस वरघोड़े का मुख्य आकर्षण है ऐतिहासिक भव्य रथ. पारसनाथ स्वामी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में सम्पूर्ण श्वेताम्बर जैन समाज द्वारा सम्मिलित रूप से इस महोत्सव का आयोजन किया जाता है.

जयपुर का ऐतिहासिक रथ 
यह रथयात्रा जौहरी बाजार, बड़ी चौपड़, रामगंज, सूरजपोल होते हुए श्री सांवलिया पार्श्वनाथ मंदि, अरिहंत वाटिका, मोहनबाड़ी पहुंचेगी। रस्ते में सभी स्थानों पर स्थानीय पार्षदों, विधायकों, व्यापार मंडलों एवं राजनैतिक दलों के पदाधिकारियों द्वारा रथयात्रा की अगवानी एवं स्वागत किया जाएगा. राजस्थान के माननीय गृहमंत्री श्री ग़ुलाबचन्द जी कटारिया, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष श्री अशोक जी परनामी एवं विधायक श्री मोहनलाल जी गुप्ता भी रथयात्रा में सम्मिलित होंगे.

श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर कार्यक्रम के मुख्य आयोजक हैं. साथ हैं जयपुर के अन्य अनेक संघ, संस्थाएं, मंडल, परिषद्, युवा एवं महिला प्रकोष्ठ आदि. कार्यक्रम संयोजक हैं श्री तिलोक चन्द गोलेच्छा. 

ऐतिहासिक भव्य रथ के साथ ही इन्द्रध्वज, हाथी, घोड़े, ऊंट, चांदी की पालकी, बैंड बाजे, भजन मंडलियां आदि भी इस भव्य जुलुश का आकर्षण होगा. बड़ी संख्या में महिलाओं द्वारा कलश लिया जायेगा और डांडिया नृत्य भी होगा. राजस्थान की घुड़सवार पुलिस पहली बार किसी जुलुश में शामिल होगी और ये इस जूलूश के आकर्षण का केंद्र विन्दु रहेगी.

रथयात्रा के बाद नवकारसी एवं भगवन पार्श्वनाथ की पञ्च कल्याणक पूजा होगी. तत्पश्चात साधर्मी वात्सल्य का कार्यक्रम रहेगा. नवकारसी, पूजा एवं साधर्मी वात्सल्यके लाभार्थी होंगे श्रीमान हुक्मीचंद जी विजेंद्र कुमार जी पूर्णेंद्र जी कांकरिया परिवार.

सभी साधर्मी वन्धुओं से सम्पूर्ण कार्यक्रम में पधारने की विनती है.

पौष दशमी का जुलुश और ऐतिहासिक रथ

पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक पौष दशमी कार्यक्रम

ज्योति कुमार कोठारी 


#ऐतिहासिक #रथ #पारसनाथ #पार्श्वनाथ #भगवान् #पौषदसमी #श्वेताम्बर #जैन 

allvoices

Tuesday 14 November 2017

पौष दशमी का जुलुश और ऐतिहासिक रथ

पौष दशमी का जुलुश और ऐतिहासिक रथ 

पिछले ब्लॉग में मैंने इस वर्ष होनेवाले पौष दशमी कार्यक्रम के बारे में लिखा था एवं उसमे ऐतिहासिक रथ के बारे में बताया था. यह रथ एक ऐतिहासिक विरासत है जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है. इस रथ का निर्माण श्री मांगीलाल जी जांगिड़ नाम के कलाकार ने करना शुरू किया था  (सन १८६९) परन्तु वह अपने जीवन काल में इसका निर्माण पूरा नहीं कर पाए. उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र श्री जयलाल जी ने इसका निर्माण पूरा किया. इस रथ को बनाने में ३५ वर्ष का लम्बा समय लगा. जब पौष बड़ी नवमी, सम्वत १९६१ (ईस्वी सन १९०४)  में पहली बार यह रथ पार्श्वनाथ भगवन की शोभायात्रा में निकला तब जयपुर की जनमेदिनी इसे देखने के लिए उमड़ पड़ी थी. तब से ले कर आज तक यह रथ पौष दशमी के जुलुश में निकलता है. श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर के लिए तब से ले कर आज तक यह रथ गौरव का विषय बना हुआ है.

मोहनबाड़ी में खड़ा भव्य रथ 
पहले पौष बड़ी ९ को यह वरघोड़ा श्री सुपार्श्व नाथ स्वामी के बड़े मंदिर से निकल कर मोहनबाड़ी जाता था और दूसरे दिन वहां से पौष बड़ी १० के दिन वापस बड़े मंदिर आता था. बाद में यह जुलुश एक दिन का रह गया और केवल मोहनबाड़ी से बड़े मंदिर, दड़ा, घीवालों का रास्ता, जोहरी बाजार, जयपुर तक आने लगा. इस वर्ष १२ दिसंबर को यह जुलुश फिर से बड़े मंदिर से मोहनबाड़ी तक ले जाया जायेगा।

जयलाल जी के पुत्र छाजुलाल जी ने भी इस काम को बखूबी संभाला. अब उनके पुत्र गिरधारी जी जांगिड़ भी इस रथ की सार संभाल कर रहे हैं. हर साल पौष दशमी के वरघोड़े से पहले वे स्वयं इस रथ के रख रखाव का काम सँभालते हैं और जुलुश में रथ को चलाने का काम करते हैं. ७३ वर्षीय गिरधारी जी ने स्मृतिचारण करते हुए  बताया की इस रथ से उनका पांच पीढ़ी का सम्वन्ध है. उन्होंने यह भी बताया की लगभग ५० साल पहले उनके ताऊजी ने इस रथ की मशीन बदल कर इसकी गति में वृद्धि की थी. पांच वर्ष पहले उन्होंने मुझे ३०-४० वर्ष पहले खींचे हुए रथ के ४ चित्र दिए थे जिन्हे मैंने उस समय ब्लॉग में पोस्ट किया था.

इस भव्य रथ का मुख्य आकर्षण इसमें जोते हुए दो सफ़ेद रंग के घोड़े हैं. यह घोड़े अत्यंत वलिष्ठ दीखते हैं और इनकी शान ही निराली है. भव्य साज के साथ इन दोनों घोड़ों को जो भी देखता है वो इसकी तारीफ किये बिना नहीं रह सकता. ६ पहियोंवाला यह रथ भी अपने आप में भव्यता लिए हुए है. सुन्दर कलात्मक कारीगरी एवं सोने का काम इसकी सुंदरता में चार चाँद लगाता है. रथ के ऊपर बना हुआ गुम्बज अपनी शोभा से सभी का मन मोह लेता है.

Thanks,
Jyoti Kothari

allvoices

Sunday 12 November 2017

पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक पौष दशमी कार्यक्रम



पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक पौष दशमी कार्यक्रम 
१२ दिसंबर, २०१७ 

पौष वदी दशमी भगवान श्री पार्श्वनाथ स्वामी का जन्म कल्याणक दिवस है. आज से २९०० वर्ष पूर्व इसी दिन वाराणसी नगरी में महाराजा अश्वसेन की धर्मपत्नी वामा रानी की रत्न कुक्षि से १४ महास्वप्न सूचित २३ वे तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ स्वामी ने जन्म लिया था. पुरुषों में श्रेष्ठ होने से वे पुरुषदानीय भी कहलाते हैं. सामान्य लोगों की भाषा में उन्हें पारसनाथ कहा जाता है. सभी २४ तीर्थंकरों में वे सर्वाधिक प्रसिद्द हैं और सबसे अधिक तीर्थ भी पारसनाथ के नाम से ही है. १०८ पारसनाथ तो विख्यात है ही. आपके ४ कल्याणक च्यवन, जन्म, दीक्षा एवं केवलज्ञान कशी देश की वाराणसी नगरी में हुए और आपका मोक्ष कल्याणक (निर्वाण) सम्मत शिखर गिरिराज पर हुआ. भगवान पारसनाथ श्याम वर्ण के थे, १० हाथ की काया थी एवं १०० वर्ष की उनकी आयु थी.

पारसनाथ भगवान् का जन्म कल्याणक दिवस पौष वदी दशमी जैन समाज का बड़ा पर्व है और इसे दुनिया भर में धूमधाम से मनाया जाता है. श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर भी सैंकड़ों वर्षों से धूमधाम से इसे मनाता आ रहा है. विगत कुछ वर्षों से इसे श्वेताम्बर जैन समाज के विभिन्न संघों को सम्मिलित कर इस कार्यक्रम को सामूहिक रूप दिया गया है.

gorgeous chariot rath khartar gachchh sangh jaipur
पौष दशमी वरघोड़ा - भव्य रथ का प्राचीन चित्र 
मंगलवार, १२ दिसंबर प्रातः ८.३० बजे श्री सुपार्श्वनाथ स्वामी के बड़े मंदिर, दड़ा, घीवालों के रस्ते से साधु- साध्वी, श्रावक-श्राविकाओं  (चतुर्विध संघ) के साथ भव्य वरघोड़ा निकाला जायेगा. हाथी, घोड़े, लवाजमे, बैंड एवं भजन मंडलियों के साथ बाजते गाजते यह भव्य जुलुश जोहरी बाजार, बड़ी चौपड़, रामगंज, सूरजपोल होते हुए मोहनबाड़ी, गलता रोड पहुंचेगी. यहाँ पर नवकारसी (नाश्ता) के बाद श्री पार्श्वनाथ पञ्च कल्याणक पूजा पढाई जाएगी एवं साधर्मी वात्सल्य का आयोजन रहेगा. श्री हुक्मीचन्द जी विजेन्द्र कुमार जी कांकरिया परिवार ने नवकारसी एवं साधर्मी वात्सल्य का लाभ लिया है.

प्राचीन रथ की भव्य कारीगरी 
इस भव्य वरघोड़े की सबसे खास बात है अति प्राचीन रथ, जिस पर भगवान् की सवारी निकली जाती है. यह भव्य रथ अत्यंत मनोरम एवं दर्शनीय है. हज़ारों की संख्या में जैन एवं जैनेतर श्रद्धालु इस रथ में आरूढ़ परमात्मा के दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं. पुरे रस्ते में दर्शनार्थियों का ताँता लगा रहता है. इस भव्य रथ यात्रा एवं अन्य कार्यक्रमों में सभी साधर्मी वन्धु सादर आमंत्रित हैं.

भव्य रथ का पिछला हिस्सा - पौष दसमी 

पौष दसमी वीडियो २००९ 



Thanks,
Jyoti Kothari

allvoices

Monday 6 November 2017

साधु साध्वियों के बिहार मार्ग (Route)


साधु साध्वियों के बिहार मार्ग 
(Route)

जैन साधुओं का बिहार- समूह में 
सभी जानते हैं की जैन साधु साध्वी गण पैदल बिहार करते हैं और गाड़ी घोड़ों का प्रयोग नहीं करते. लम्बे-लम्बे बिहार में उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. जिन स्थानों से साधु साध्वी भगवंतों का बिहार कम होता है वहां यह सनस्य बहुत ही विकत हो जाती है. अनेक स्थानों पर स्थानीय संघ उनकी सहायता के लिए आगे आता है और बहुत सी जगह परम पूज्य साधु साध्वी भगवंतों को अपने स्तर पर ही उन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. जहाँ पर स्थानीय संघ या कोई श्रावक/ श्राविका बिहार में मदद करना भी चाहते हैं उन्हें भी सही रस्ते की जानकारी नहीं होने से वे सही तरीके से मदद नहीं कर पाते हैं. सही बिहार मार्ग की जानकारी से यह समस्या काफी हद तक कम हो सकती है.

भगवन महावीर के पूर्व भावों की कथा में प्रभु ने नयसार के भव में सम्यग दर्शन उपार्जन किया था. उस भाव में नेसार ने जंगल में मार्ग भूले हुए साधुओं को आहार दान दे कर व उन्हें सही मार्ग बता कर सम्यग दर्शन की भूमिका तैयार की थी. नयसार ने मुनियों को द्रव्य से मार्ग बताया और प्रतिदान में मुनियों ने उन्हें मोक्ष का भावमार्ग बताया. इस प्रसिद्द कथा से श्रमण/ श्रमणियों को बिहार में सहायता करने का फल स्पष्ट है.

परम पूज्या स्वर्गीया प्रवर्तिनी महोदया श्री सज्जन श्री जी महाराज साहब की सुशिष्या एवं परम पूज्या प्रवर्तिनी महोदया श्री शशिप्रभा श्री जी महाराज साहब की अज्ञानुवर्तिनी विदुषी साध्वी श्री सौम्यगुणा श्री जी महाराज की प्रेरणा, मार्गदर्शन एवं सहयोग से श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर ने इन बिहार मार्गों का संकलन किया है जिससे यह सभी के लिए उपयोगी हो सके. इस कार्य को करने का सम्पूर्ण श्रेय परम पूज्या साध्वी श्री सौम्यगुणा श्री जी को है.

प्रस्तुत है ऐसे ही कुछ बिहार मार्ग (Route) की जानकारी- उम्मीद है यह साधु-साध्वियों के बिहार में मददगार सावित होगी.





















































Thanks,
Jyoti Kothari
#जैन # साधु # साध्वी #बिहार #बिहारमार्ग #जैनमुनि  

allvoices